एच1एन1 फ्लू के वायरस तेजी से अपना दायरा बढ़ा रहे हैं। अब पुणे में एक गर्भस्थ शिशु के इन्फेक्शन की चपेट में आने की पुष्टि हुई है। इसके बाद एक्सपर्ट्स की चिंताएं बढ़ गई हैं, लेकिन सरकारी एजेंसियां अभी भी अलर्ट नहीं हुई हैं। अब भी गर्भवती महिलाओं के इलाज के संबंध में कोई गाइड लाइन जारी नहीं हुई है, जिसके चलते डॉक्टर असमंजस की स्थिति में हैं।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के डीजी डॉ. वी. एम. कटोच का कहना है कि आने वाले दिनों में कई ग्रुप बीमारी के चपेट में आ सकते हैं, लेकिन इलाज के लिए सिर्फ टैमी फ्लू दवा का विकल्प है। उधर डॉक्टरों का कहना है कि प्रेग्नेंसी के अंतिम स्टेज में कई दवाइयों का मां और शिशु पर गलत प्रभाव पड़ता है। इस पर बहस शुरू हो गई है कि स्वाइन फ्लू पीड़ित गर्भवती महिला को टैमी फ्लू दी जाए या नहीं? डॉ. कटोच का कहना है कि मरीज या उसका इलाज कर रहे डॉक्टर को ही यह फैसला लेना होगा कि इलाज के लिए टैमी फ्लू दवा का इस्तेमाल करें या नहीं, क्योंकि फिलहाल स्वाइन फ्लू पीड़ित प्रेगनेंट महिला के इलाज से संबंधित कोई दिशा-निर्देश नहीं है। उन्होंने बताया कि मां व बच्चे पर टैमी फ्लू के गलत असर होने की बात से पूरी तरह से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसकी वजह से डॉक्टर और एच1एन1 फ्लू पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिक दुविधा में हैं। इन दिनों वायरस पूरी तरह से सक्रिय है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को विशेष एहतियात बरतनी चाहिए।
सीनियर गाइनेकॉलजिस्ट डॉ. नीरा अग्रवाल का कहना है कि प्रेग्नेंसी के अंतिम स्टेज में कई दवाएं सुरक्षित होती हैं, लेकिन कई दवाएं नहीं लेने की सलाह दी जाती है। जहां तक स्वाइन फ्लू पीड़ित गर्भवती महिला को टैमी फ्लू देने की बात है तो इस बारे में कुछ भी कह पाना मुश्किल है, क्योंकि यह नई बीमारी है और इसके बारे में अभी ज्यादा स्टडी नहीं हुई है। सफदरजंग हॉस्पिटल की गाइनेकॉलजी विभाग की प्रमुख डॉ. सुधा सल्हन का कहना है कि मरीजों पर टैमी फ्लू के साइड इफेक्ट्स की स्टडी हो रही है।
शनिवार, 19 दिसंबर 2009
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