बुधवार, 23 दिसंबर 2009
गंगाजल से हुई मौत!
न जाने कितना सच है। डाक्टरों के दावों पर यकीन करें तो पोलैंड के युवक मैटीज लेसजेक टर्स्की की मौत गंगा जल से हुई है। अगर यह हकीकत है तो उन करोड़ों लोगों की आस्था को जबरदस्त झटका है, जो अब तक गंगा तेरा पानी अमृत अवधारणा को दिल से लगाए हुए हैं। यूं तो वैज्ञानिक निष्कर्षो में बार-बार चेताया जाता रहा है कि अवजल और गंगाजल के अनुपात में निरंतर गिरावट से गंगा नाले का रूप अख्तियार करती जा रही हैं। इसका पानी जीव-जंतुओं के पीने योग्य नहीं रहा। लेकिन हालात इससे ज्यादा बिगड़े नजर आते हैं। पोलैंड का मैटीज लेसजेक टर्स्की (29) एक सप्ताह पूर्व बनारस आया था। एक गेस्टहाउस में ठहरा था। गंगा स्नान के दौरान पानी उसकी नाक में घुस गया। इसके बाद उसकी हालत बिगड़ने लगी। गेस्टहाउस में ठहरे एक और शख्स नार्वे के डेविड ने मैटीज लेसजेक को 19 दिसंबर को वाराणसी के ही लंका स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। चिकित्सकों ने बताया कि गंगा के पानी से इंफेक्शन होने के कारण लेसजेक की हालत बिगड़ी। सोमवार को लेसेजेक की मौत हो गई। इलाज में लगे चिकित्सकों की टीम ने आफ द रिकार्ड बताया कि इंफेक्शन इतना फैल चुका था कि तत्काल उसपर नियंत्रण नहीं पाया जा सका। नतीजतन उसकी मौत हो गई। गंगा जल कैसे कहें: प्रो.चौधरी : बीएचयू में गंगा रिसर्च सेंटर के कोआर्डिनेटर प्रो.यूके चौधरी कहते हैं- इसे गंगा जल कैसे कहें। इस समय नदी के किनारे-किनारे बीओडी लोड जहां जीरो होना चाहिए, वहां औसतन 10 पीपीएम और डीओ ... जहां छह के नीचे किसी भी दशा में नहीं होना चाहिए, वहां तीन पीपीएम देखा जा रहा है। अवजल और गंगाजल का अनुपात भी कम से कम हजार गुना होना चाहिए। यहां तो 30 फीसदी गंगा जल है तो 70 फीसदी अवजल। यह जल छूने योग्य नहीं है फिर स्नान की बात कहां से सोची जा सकती है। वैसे भी गंगा में गंगाजल आ कहां रहा है। इसका 95 फीसदी मौलिक जल हरिद्वार से ही पश्चिमी नदी को मोड़ दिया जा रहा है।
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